मित्रभेद-पंचतंत्र की कहानी हिंदी में | Mitrabhed- Panchtantra story in hindi
महिलारोप्य नाम के नगर में वर्धमान नाम का एक बनिए का पुत्र रहता था । उसने सच्चाई और ईमानदारी से से व्यापार में अच्छा-खासा धन कमाया था । किन्तु, उसको इतने धन से सन्तोष नहीं था । उसे और भी अधिक धन कमाने की इच्छा थी । शास्त्रों के अनुसार छः तरीके से ही धन कमाया जाता है—भिक्षा (भीख माँगना), राजसेवा, खेती, विद्या, सूद (ब्याज)और व्यापार से । इनमें से व्यापार का साधन ही सबसे अच्छा होता है । व्यापार के अनेक प्रकार हैं । उनमें से सबसे अच्छा है कि विदेश से उत्तम वस्तुओं को मँगाकर कर उसे अपने देश में बेचा जाय । यह सोचकर वर्धमान ने अपने नगर से बाहर जाने की सोची । उसने मथुरा जाने के लिए अपना रथ तैयार करवाया । रथ में दो सुन्दर और मजबूत बैल लगवाए । बैलों के नाम थे -संजीवक और नन्दक ।
वर्धमान का रथ जब यमुना के किनारे पहुँचा तो संजीवक नाम का बैल नदी के किनारे की दलदल में फँस गया । वहाँ से निकलने की कोशिश करने में उसका एक पैर भी टूट गया । वर्धमान को यह देख कर बड़ा दुःख हुआ । उसने तीन दिन तक उसने बैल के स्वस्थ होने का इंतज़ार किया । इतने में बैलों के ठीक नहीं होने पर उसके सारथि ने कहा कि “इस वन में अनेक खतरनाक जन्तु रहते हैं । यहाँ उनसे बचने का कोई उपाय नहीं है । संजीवक के अच्छा होने में काफी दिन लग सकते हैं । इतने दिन यहाँ रहने से प्राणों का संकट हो सकता है । इस बैल के लिये अपने जीवन को संकट में क्यों डालते हैं ?”
तब वर्धमान संजीवक की सुरक्षा के लिए कुछ रक्षक रखकर आगे बढ़ गया । रक्षकों ने भी जब देखा कि जंगल खतरनाक शेर-बाघ-चीतों से भरा पड़ा है तो वे भी एक-दो दिन के बाद वहाँ से प्राण बचाकर भाग निकले और वर्धमान से झूठ बोल दिया ” मालिक ! संजीवक मर गया और हमलोगों ने उसका दाह-संस्कार कर दिया ।” वर्धमान यह सुनकर बहुत दुःखी हुआ ।
इधर, संजीवक यमुना-तट की अच्छी जलवायु से कुछ स्वस्थ हो गया । नदी किनारे की हरी-हरी घास खाकर धीरे- धीरे वह अत्यंत तगड़ा और मजबूत हो गया । वह वहां अक्सर दौड़ लगाता और जोर – जोर से गरजता ।
एक दिन यमुना नदी के उसी तट पर पिंगलक नाम का शेर पानी पीने आया । वहाँ उसे दूर से ही संजीवक की तेज गर्जना सुनी । उसे सुनकर वह डर कर झाड़ियों में जा छिपा ।
शेर के साथ दो गीदड़ भी थे – करटक और दमनक । ये दोनों सदा शेर की चापलूसी करते रहते थे और हमेशा शेर के पीछे़-पीछे़ चलते थे । उन्होंने जब पिंगलक को डरते देखा तो आश्चर्य में डूब गए । जंगल के राजा का इस तरह डरना सचमुच बडे़ आश्चर्य की बात थी । आज तक पिंगलक कभी इस तरह डरा नहीं था ।
दमनक ने अपने दोस्त गीदड़ को कहा -’करटक ! हमारा मालिक जंगल का राजा है । सभी जानवर उससे डरते हैं । लेकिन आज हमारा राजा ही इस तरह डर गया है । प्यासा होने के बावजूद भी वह पानी पीने के लिए यमुना-तट तक जाकर भी वापस लौट आया । इसका कारण क्या है ?”
करटक ने कहा – “दमनक ! कारण से हमें क्या लेना-देना ? दूसरों के काम में बिना मतलब हस्तक्षेप करना ठीक नहीं । ऐसा करनेवाला उसी बन्दर की तरह तड़पता है, जिसने दूसरे के काम में बेकार ही हस्तक्षेप किया था ।”
दमनक ने पूछा – ” तुम किस बन्दर और किस काम की बात कर रहे हो ?”
करटक ने कहा – “सुनो ! इसकी एक कहानी है । ‘
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